
Tata Motors Q4 FY25 रिजल्ट्स: शुद्ध लाभ में 51% गिरावट, ₹6 प्रति शेयर लाभांश घोषित
12 मई 2025 को भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी Virat Kohli ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। उनके इस फैसले ने न सिर्फ प्रशंसकों को भावुक कर दिया, बल्कि भारतीय क्रिकेट के सबसे शानदार दौर का भी अंत कर दिया। विराट कोहली का टेस्ट करियर कई रिकॉर्ड्स और यादगार पलों से भरा रहा, जिसे क्रिकेट प्रेमी हमेशा याद रखेंगे।
Virat Kohli का टेस्ट करियर: रिकॉर्ड्स और उपलब्धियाँ
-
मैच: 123
-
पारियाँ: 210
-
रन: 9,230
-
औसत: 46.85
-
शतक: 30
-
अर्धशतक: 31
-
दोहरे शतक: 7 (भारतीय खिलाड़ियों में सर्वाधिक)
-
कप्तानी में टेस्ट जीत: 40 (68 मैचों में)
Virat Kohli ने भारतीय टीम को विदेशी धरती पर ऐतिहासिक जीत दिलाई और उन्हें भारत का सबसे सफल टेस्ट कप्तान माना जाता है। उनकी आक्रामक कप्तानी और बेहतरीन बल्लेबाजी ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
संन्यास के पीछे की वजह क्या है?
1. प्रदर्शन में गिरावट
हाल के दिनों में कोहली का टेस्ट प्रदर्शन कुछ कमजोर रहा था। पिछली 10 टेस्ट पारियों में उनका औसत संतोषजनक नहीं था, जिसके बाद चयनकर्ताओं के लिए उन्हें टीम में शामिल करना मुश्किल हो रहा था।
2. BCCI का रुख
बीसीसीआई ने उन्हें संन्यास न लेने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन कोहली अपने फैसले पर अडिग रहे। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन यह सही समय है।
3. आध्यात्मिक झुकाव
संन्यास की घोषणा के बाद, कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा को वृंदावन में एक आध्यात्मिक गुरु के आश्रम में देखा गया। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब वे आध्यात्मिक जीवन की ओर अधिक ध्यान देंगे।
प्रशंसकों और सेलिब्रिटीज की प्रतिक्रिया
-
फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने कोहली की एक दुर्लभ तस्वीर शेयर करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
-
टीवी एक्टर नकुल मेहता ने एक भावुक वीडियो पोस्ट किया और कहा कि वे कोहली के संन्यास के लिए तैयार नहीं थे।
भविष्य की योजनाएँ
Virat Kohli ने स्पष्ट किया है कि वे वनडे और आईपीएल में खेलना जारी रखेंगे। हालाँकि, 2027 विश्व कप से पहले वनडे मैचों की संख्या कम होने की वजह से प्रशंसक उनके भविष्य को लेकर उत्सुक हैं।
निष्कर्ष: एक महान खिलाड़ी का सफर
Virat Kohli का टेस्ट करियर प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनका यह निर्णय एक युग का अंत है, लेकिन उन्होंने अपने शिखर पर रहते हुए संन्यास लेकर एक बार फिर अपनी महानता साबित की है।